राष्ट्रपति का चुनाव : भारत का राष्ट्रपति कैसे चुना जाता है ?

Rashtrapati kaise chuna jata hai ?

राष्ट्रपति भवन
राष्ट्रपति भवन

भारतीय संविधान सरकार का एक संसदीय स्वरूप निर्धारित करता है, जिसका मुखिया राष्ट्रपति होता है। राष्ट्रपति सीधे भारत की जनता द्वारा नहीं चुना जाता बल्कि उसका चनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा होता है, जिसमें राज्यसभा, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के सदस्यों को मत देने का अधकार होता है ।

इस प्रकार भारत के नागरिकों द्वारा सीधे राष्ट्रपति का चुनाव नहीं किया जाता, बल्कि नागरिकों द्वारा चुने हुए उपयुक्त प्रतिनिधि राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। यह चुनाव गुप्त मतदान द्वारा होता है।

राष्ट्रपति का चुनाव
राष्ट्रपति का चुनाव 

विधानसभा के प्रत्येक सदस्य के वोट निम्न सूत्र (Formula) के द्वारा निश्चित किए जाते हैं : 

राज्य की कुल जनसंख्या को 1000 से भाग देकर आई संख्या / विधानसभा के कुल चुने हुए सदस्यों की संख्या 

संसद के प्रत्येक सदस्य के वोट निम्न सूत्र द्वारा निश्चित किए जाते हैं: 

विधानसभाओं को दिए गए सदस्यों के कुल मत को 1000 से भाग देने पर आई संख्या  /  संसद के चुने हुए कुल सदस्यों की संख्या 

राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, लेकिन वह दोबारा भी चुना जा सकता है। यदि राष्ट्रपति संविधान को तोड़ता या उसके विरुद्ध कार्य करता है, तब संसद महाभियोग लगाकर 5 वर्ष की अवधि पूरी होने से पहले ही उसे अपने पद से हटा सकती है। राष्ट्रपति स्वयं भी त्यागपत्र दे सकता है। यह त्यागपत्र उसे उपराष्ट्रपति को देना होता है। उपराष्ट्रपति इसे लोकसभा के सामने स्वीकृति हेतु रखता है।

भारत का राष्ट्रपति भवन
भारत का राष्ट्रपति भवन

राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में खड़े होने वाले व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यता होनी आवश्यक है :--
1. वह भारत का नागरिक होना चाहिए। 
2. उसकी आयु 35 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।
3. उसमें संसद के सदस्य चुने जाने वाले व्यक्ति की सभी योग्यताएं होनी चाहिए।
4. उसे सरकार या किसी संस्था के अधीन नौकर नहीं होना चाहिए, जिससे उसे आय होती हो।
5. उसे संसद या विधानसभा का सदस्य नहीं होना चाहिए।

यहां यह जान लेना आवश्यक है कि भारत का राष्ट्रपति केवल संवैधानिक प्रमुख है। वास्तविक शक्तियां प्रधानमंत्री के पास होती हैं, जो अपने मंत्रियों की सहायता से इनका उपयोग करता है।

राष्ट्रपति भवन
राष्ट्रपति भवन

राष्ट्रपति को निम्नलिखित कार्यकारी, वैधानिक, वित्तीय, न्यायिक तथा आपातकालीन अधिकार प्राप्त होते हैं:
1. शासन के सभी कार्य राष्ट्रपति के नाम से होते हैं।

2. राष्ट्रपति देश की तीनों सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति होता है।

3. राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों के सत्रों (Sessions) को स्थगित कर सकता है, सत्रों में अभिभाषण दे सकता है और दोनों सदनों के लिए किसी भी प्रकार का संदेश भेज सकता है। जो भी विधेयक (Bill) संसद पारित करती है, वे राष्ट्रपति की सहमति के बिना कानून नहीं बनते।

राष्ट्रपति इन विधेयकों पर पुनर्विचार के लिए संसद वापस भेज सकता है, परंतु दोबारा पारित होने के बाद राष्ट्रपति को उन पर अपनी सहमति देनी ही होती है।

4. वह देश के बड़े-बड़े अधिकारियों की नियुक्तियां कर सकता है, जैसे प्रधानमंत्री, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश, संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य, महालेखा निरीक्षक, अटॉर्नी जनरल, चुनाव आयुक्त आदि।

5. वह किसी भी अपराधी के मृत्युदंड को माफ कर सकता, रोक सकता या आजीवन कारावास में बदल सकता है।

6. जब संसद का अधिवेशन न हो रहा हो, तब वह अध्यादेश (Ordinance) जारी कर सकता है।

7. वह युद्ध या शांति की घोषणा कर सकता है।

8. वह आपातकालीन स्थिति की घोषणा कर सकता है। यह स्थिति 
     (क) युद्ध
     (ख) विदेशी हमला
     (ग) देश के अंदर अशांति
     (घ) किसी राज्य में संसदीय प्रणाली फेल हो जाने पर
     (च) अर्थतंत्र के बिखर जाने की आशंका में होती है।

राष्ट्रपति भवन
राष्ट्रपति भवन
भारत के राष्ट्रपति को 500000 (Rs 5 lakh) रुपए प्रतिमाह वेतन, अपने पद के अनुरूप अन्य सभी श्रेष्ठ सुविधाएं तथा निःशुल्क निवास स्थान (राष्ट्रपति भवन) मिलता है।

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